चाँद को बक्श दो। (Please Spare The Moon)
इस धरती का किया है नुकसान हुमने हर पल, हर दिन,
जिसकी भरपाई है अब शायद नामुमकिन।
पेट भरा अन्न से, सर पर दी छत, शरीर को ढका कपड़े से।
उसी धरती को हम बर्बाद कर रहे है, राकेट की गति से।
पर्यावरण को तबाह किए जा रहे है हम,
प्राकृतिक साधन को खत्म कर रहे है अपनी लालच से।
ईयरबड्स को कानों ने किया है बंद,
आँखों पे लगे थ्री डी चश्मे से नहीं दिख रही, समुंदर मैं फैली गंद।
दूषित कर रहे हैं नदियों, तालाबों को।
परेशान कर रहे हैं उसमें रहते जीवों को।
अपने से आगे कुछ न दिखता हमें अब।
उदार प्रकृति बन रही है निशाना, हमारे अत्याचार का बे मतलब।
ऊंचे आसमान को भी कहाँ बक्षा है हम इंसानों ने।
किसी समय पर साफ सुथरे बादल रहते थे उसके विशाल सीने में।
अब उनपर परत जमी है काले धुएं की।
ये महरबानी है बढ़ते हुए लालची कारखानों की।
सुना था मैंने सबके लिए काफी है प्रकृति की गोद में,
पर हम इंसानों को चाहिए सब कुछ भारी मात्रा में।
संतुष्ट होना ना सीखा है कभी हमने।
न एक पल भी झेल पाएंगे हम, जो झेला है प्रकृति ने।
जानवर करते है खाने की तलाश,
इंसानों की थाली में रहती है, जानवरों की लाश।
अपनी जीभ को खुश करने के लिए हम जुल्म करते है बेजूबानों पर,
तभी कोरोना ने वार किया था इंसान के सबसे कीमती अंग, फेफड़ों पर।
अंधाधुन बांधते जा रहे हैं हम टॉवरों को कान्क्रीट सिमेन्ट से।
पंछियों की उड़ान में रुकावट कर रहें हैं फाइव जी की केबलों से।
छीनकर दूसरों का आशियाँ,
क्या बसा पाएंगे हम खुशी से अपनी दुनिया?
धरती पर किस चीज़ को हमने है बक्षा?
मधुमक्खी से शहद लेते हैं, रेशम के कीड़े से रेशम।
दूध के लिए करते हैं एक बछड़े को उसकी माँ से अलग,
इतने हो गए हैं हम बेशरम।
नन्हे से चूज़े को करके अलग मुर्गी से,
टाँगते हैं माँ और बच्चे की प्यारी तस्वीर, दीवार पर बड़ी शान से।
पेड़ों को काटकर पेड़ बचाओ आंदोलन करना।
सो जाते हैं आराम से,अपनी ज़मीर की आवाज को करके अनसुना।
धरती की हर एक मिलकियत पर हक हैं जमाते।
उसका शुक्रिया करने के लिए एक मिनिट भी नहीं निकाल पाते।
उसके सीने को फाड़के पानी निकाल लेते हैं हम।
पर बेजूबानों को भी नहीं बक्शते इंसान बेरहम।
जैसा करोगे, वैसा ही भरोगे।
क्या साथ लेकर आए थे, जो साथ लेके जाओगे?
पृथ्वी के हर हिस्से पर कब्ज़ा किए जा रहे।
हमारा अत्याचार ये कब तक और क्यूँ सहे?

हमारी लालची आँखें अब गड़ी है उस चाँद पर।
तरक्की और विज्ञान के केवल नाम पर।
उपलब्धि का सिर्फ बहाना है।
हमारा इरादा दरअसल उस चाँद पर भी अपना धौस जमाना है।
चैन से रहने दो सौरमंडल के चंद्रमाओं को।
अपनी गलतीयों को सुधारो, जगाओ अपनी बुद्धी को।
प्रकृति हमें अपने किए की सज़ा देगी जरूर, इस बात पे जरा ध्यान दो।
पृथ्वी का तो सर्वनाश कर चुके हो, अब बेचारे उस चाँद को बक्श दो।
- By Chetna
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Beautifully written sis. Its really heart touching. God bless you. 😘😘
Thanks dearie🫶