A beautiful creation of God – Dogs (Hindi Poem)
मालिक ने क्या रचना रचायी,
‘वफादारी’ को चार पैर लगाकर, शान से बोला,
मैं राह तेरी यही हूँ तकता,
तू दुनिया की सैर कर आ भाई,
मालिक ने क्या रचना रचायी।
नाम मेरा कुछ रख दो मालिक,
कहने लगा चार पैरों वाला।
सोच कर मालिक बोला,
ईमानदारी में कोई तुझे हरा नहीं सकता,
तू कहलायेगा इस दुनिया में सबसे वफादार ‘कुत्ता’।
खुश होकर कुत्ता चला सैर करने दुनिया की।
इजाजत लेकर अपने मालिक से,
निकल पड़ा कुत्ता बड़ी खुशी से।
धरती पर जब पहुँचा, देखा एक इंसान को।
हो कर खुश कुत्ता लिपट गया,
इंसान और उसके घरवालों को।
घरवालों ने उसे खाना दिया,
खूब बहलाया खुद को उसके साथ।
लगने लगा कुत्ते को धरती पर मैं नहीं हूँ अनाथ।
जैसे स्वर्ग में मालिक मेरे दाता, धरती पर यही मेरे माता पिता।
एक दिन घर के मालिक ने,
अपने बूढ़े माता पिता को बुलाया।
ढूंढ लो जाकर कहीं और बसेरा,
अब न हो पायेगा साथ गुज़ारा।
मूक होकर भी कुत्ते ने प्यार जताया।
दादा दादी के चरणों के पास बैठा प्यार से।
बेचैन हुआ उसका मन यह सोच कर,
नहीं जा रहे दादा दादी यहाँ से।
खुशियाँ, दुआएं, और समझदारी निकल रही है,
इस बदनसीब घर से|
बेजुबान भी समझता था माँ बाप की कीमत,
पर इंसान न जान पाया उन दोनों की एहमियत|
चले गए दोनों उस घर से बुजुर्ग जब,
बिना आशीर्वाद और दुआओं सा लगने लगा वह घर तब।
कुत्ता उन्हें दिन रात याद करता।
दोनों की कुर्सियों पर घंटों बैठता।
सोचता रहता क्यों है इंसान ऐसा।
जिसने जनम दिया उस माता से न तनिक प्यार इसको।
बीवी की चार रोज़ की संगत ने कितना बदल दिया इसको।
एक दिन नन्हा बच्चा उस घर में,
हुआ बहुत बीमार, बदहवास।
कुत्ता हुआ परेशान, बैठा रहा उसके तकिये के पास।
डाक्टर आया नब्ज देख कर बोला,
बाकी सब तो ठीक, पर इस कुत्ते से पा लो छुटकारा।
न जाने कौन सी बीमारी ले कर आया है ये आवारा।
कुत्ता मन मैं बोला, दे दो मुझे इस नन्हे का दुःख,
मेरे रहते न कोई छीन पायेगा इस घर का सुख।
देखा अपने परिवार को, न प्यार रहा न लगाव।
एक ही पल में दे दिया कुत्ते के दिल पर,
कभी न भरने वाला घाव।
कुत्ते ने सब के लिए मांगी दुआ ,
चल दिया वहाँ से चुप चाप।
मन में बोला, जिन्हें नहीं प्यारे अपने सगे माँ बाप,
वह इंसान क्या प्यार करेगा मुझको,
क्या पुण्य इनके लिए, और क्या पाप।
चला आया कुत्ता मालिक के पास।
पूछा मालिक ने उसे, तू क्यों है इतना उदास?
क्या रंग बिरंगी दुनिया भायी नहीं तेरे मन को?
इंसानों की संगत नहीं लगी क्या खास?
कुत्ता बोला, धरती पर सिर्फ इंसान है,
नाम ओ निशान नहीं है इंसानियत का।
माँ बाप इनको बोझ है लगते,
क्या रखेंगे दिल ये इंसान, एक कुत्ते का।
मालिक ने कहा थोड़ी देर रह इंसानो में,
शायद थोड़ी सी वफादारी आ जाये इनमें भी।
कुत्ते ने जवाब दिया, “कब जाना है कहिए?,
मैं तो जानता हूँ सिर्फ प्यार और वफादारी करना, आज भी।”
मालिक ने दिल ही दिल में कहा,
इंसान और कुत्ते में यही फर्क है।
कुत्ते जैसा निस्वार्थ और इंसान जैसा खुदगर्ज़, कोई हो नहीं सकता।
इसीलिए वफादारी का दूसरा नाम है ‘कुत्ता’।
What A Beautiful Creation Of God – Dogs By Chetna.
|https://pieces-of-life.com/2021/02/24/he-bestowed-loyalty-with-four-legs/
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