Mother Is Quiet Nowadays (Hindi Poem)
बच्चे ने लिया जन्म , माँ की मिली उपाधि ,
उसको पाल पोसकर बड़ा करने में ,
माँ की ख्वाहिशें रह गई अधूरी और आधी |
उनकी जरूरतें पूरा करने में
वह खुद को गई भूल ,
बिना चीजें हाजिर करने की
हर जिद की कबूल |
बच्चे हुए बड़े , लगे कमाने |
पहले पहले खजाने से कम नहीं लगते थे ,
माँ के दिए चार आने |
टिफिन के दो बिस्कुट से भी पेट भर जाता था तब ,
अब बड़ी से बड़ी चीज भी ,
छोटी लगने लगी है अब |
फिर मिला हमसफर ,
संसार शुरू हुआ |
जब मोबाइल हाथ में आया ,
तब माँ के लिए वक्त
पहले से और कम हुआ |मेरे बच्चे मुझसे दो बातें करेंगे ,
मेरे पास बैठेंगे ,
इस इच्छा को माँ ने ,
अपनी दूसरी इच्छाओं के साथ दफनाया |
बच्चों के साथ बातचीत
अब भूत काल सी लगती है |
छोटे मोटे कामों से खुद को व्यस्त रखती है |
माँ आजकल चुप रहती है |
पुत्री का विवाह किया धूम धाम से ,
रहती है अब वह उनके साथ बड़े मजे से |
माँ दूर से ही उनको खुशी की दुआएं देती है ,
पर बेटी को अपनी खत्म हुई दवा की ,
खबर तक नहीं देती है |
माँ आजकल चुप रहती है |
पुत्री रहती है रानियों सी महलों में ,
माँ भी खुश होगी ,
सोच लेती है खयालों में |
पर हमेशा की तरह माँ अपनी तकलीफों को ,
छुपाकर रखती है |
माँ आजकल चुप रहती है |
बच्चे रहते है उनके कामों में व्यस्त जब भी ,
उनकी छोटी से छोटी जरूरतों का खयाल ,
रहता है माँ को आज भी |
पर खुद की जरूरतों को ,
कहीं डिब्बे में बंद कर देती है |
माँ आजकल चुप रहती है |
बचपन में एक कप टूटने पर भी
मांगते थे माफी हाथ जोड़कर ,
पर आज पछतावे का नाम ओ निशान भी नहीं रहता ,
माँ का दिल तक तोड़कर |
माँ को अनदेखा कर बच्चे खुशी खुशी जीते है |
इसीलिए माँ आजकल चुप रहती है |
बच्चों की थोड़ी सी तकलीफ से भी ,
रात भर सोती नहीं थी जो माँ |
आज वह चैन से सोती है या नहीं ,
जानने की फुरसत किसे है यहाँ |
पर माँ कहाँ बुरा मानती है |
हाँ , माँ आजकल चुप रहती है |
लड़की दामाद के साथ
जब भी परदेस जाती है ,
तेरे लिए यह लाएंगे , वह लाएंगे कहती है |
पर उसे अपने साथ ले जाने की गलती ,
गलती से भी नहीं करती है |
माँ भी चाहती है चार दीवारी से बाहर निकलना ,
जिन बच्चों को प्यार से बड़ा किया ,
उनके साथ दो पल गुजारना |
पर शुभकामनाओ के साथ उनको हसकर विदा करती है |
माँ आजकल चुप रहती है |
जरूरत थी तब सौंप जाते थे पौत्र-दौहित्र को माँ के पास ,
पर अब उन्ही को देखने के लिए लगी रहती है ,
माँ की आँखों को आस |
वो भी अब बड़े हो गए है ,
पर भूल चुके है कि ,
बचपन में इन्ही दादी नानी ने
माँ बाप दोनों की कमी पूरी की |
जब जाते थे पैसे कमाने ,
अपने मुंह का निवाला तक ,
खिलाया था इन्हीं दादी नानी ने |
पर माँ आज भी सारे बच्चों पर ,
पौत्र-दौहित्र पर ममता करती है न्योछावर |
कहना बोहोत कुछ चाहती है ,
पर माँ आजकल चुप रहती है |
मत दिखावा करो मदर्स डे पर ,
माँ के पैर धोकर , उसे तोहफे कार्ड देकर |
देना है तो थोड़ा सा वक्त दे देना ,
दो मीठे बोल उससे कहना |
तू कैसी है माँ ? तुझे कुछ चाहिए ?
यह पास बिठाकर उससे पूछना |
हो सके तो उसके दिल की बात समझ लेना ,
क्यों कि वह न कहेगी न मांगेगी ,
बस दुआएं देती रहेगी |
बड़े से घर में भी माँ आजकल अकेली सी रहती है ,
माँ आजकल चुप रहती है |
– चेतना
👉 https://pieces-of-life.com/2021/04/04/the-alarm-ring-pierced-my-ear/
Beautifully written sis. Very touching. God bless you. Love you…😘😘😘😘